दिल मे आज कुछ और आता है वक्त को रोकने को जी चाहता है...
अब बदमसी करू तो कौन पीछा करेगा...
गलती पे टांग कौन खिचा करेगा...
दिल मे आज कुछ और आता है वक्त को रोकने को जी चाहता है...
फ़ेल होने पर कौन हमे दिलासा दिलाएँगे...
गलती के नंबर आजाए तो कौन पीठ थपथपाएंगे...
टपरी पे चाय अब किनके साथ पिएंगे...
वो हसीन पल अब किनके साथ जिएंगे...
दिल मे आज कुछ और आता है वक्त को रोकने को जी चाहता है...
बस पर वो मधुर संगीत कौन बजाएगा...
ड्राईवर को गारी तेज करना कौन बताएगा...
कौन हमे काबिलियत पे भरोसा दिलाएँगे...
और जायदा हवा मे उड़े तो जमीन पर लाएँगे...
दिल मे आज कुछ और आता है वक्त को रोकने को जी चाहता है...
अभी तो मिले थे अभी बिछर जाएं...2
कह दो इन वक्त को थोड़ा ठहर जाए...
दिल मे आज कुछ और आता है वक्त को रोकने को जी चाहता है...