Sunday 17 May 2015

जीवन बीमा लेते समय इन 11 बातों का रखें ध्यान, मिलेंगे कई फायदे

मोदी सरकार 12 और 330 रुपए के प्रीमियम वाली इंश्योरेंस स्कीम के जरिए देश के सभी लोगों को बीमा के दायरे में लाने की तैयारी कर रही है, लेकिन अकसर जीवन बीमा चुनते समय लोग कई बार कंफ्यूज होते हैं। मसलन कौन सी पॉलिसी लें, किस कंपनी से पॉलिसी लें, कितने की पॉलिसी लें? यदि आप भी बीमा कराने की सोच रहे हैं, तो पहले इन बातों पर गौर कर लें। इन टिप्स की मदद से आप बेहतर जीवन बीमा पॉलिसी का चुनाव आसानी से कर पाएंगे।
आइये जानते हैं कौन सी टिप्स करेंगी आपकी मदद...

1. कवर और बजट की राशि तय करें:

आपको कितना बीमा कवर की लेना चाहिए यह जानने के लिए पर्सनल फाइनेंस की वेबसाइटों पर उपलब्ध कैलकुलेटर की मदद ले सकते हैं। बीमा क्षतिपूर्ति के सिद्धांत पर काम करता है। आपको इसे क्षतिपूर्ति के नजरिये से ही देखना चाहिए, लाभ के नजरिये से नहीं।

2. किस कंपनी से पॉलिसी लें:

एलआईसी की साख अच्छी है और ट्रैक रिकॉर्ड भी। इसके टर्म प्लान के लिए प्रीमियम अधिक चुकाना होगा। वहीं, प्राइवेट इंश्योरेंस कंपनियां ऑनलाइन मॉडल और अन्य कारणों से इस मामले में ज्यादा प्रतिस्पर्धी हैं। इसलिए अपने बजट और बीमा कवर की राशि के आधार पर तय करें आप किस कंपनी से पॉलिसी खरीदना चाहेंगे।

3. कवर स्प्लिट करें:

यदि बीमा कवर अधिक राशि का है मसलन 50 लाख रुपए या इससे अधिक तो आपको इसे दो कंपनियों में बांटना चाहिए। इसके दो फायदे होंगे: पहला, यदि आपकी मृत्यु के बाद परिवार बीमा क्लेम करता है और एक कंपनी इसे खारिज करती है और दूसरी मंजूर, तो आपका परिवार हस्तक्षेप के लिए नियामक से अनुरोध कर सकता है। दूसरा, कुछ वर्षों बाद यदि आपकी बीमा जरूरत घट जाती है तो एक पॉलिसी को सरेंडर कर दूसरी पॉलिसी को जारी रख सकते हैं।

4. पॉलिसी की अवधि:

यदि आपके पास वित्तीय परिसंपत्तियां अधिक हैं, तो आपको जीवन बीमा पर खर्च करने की जरूरत नहीं है। उम्र के साथ वित्तीय परिसंपत्तियां बढ़ती हैं और वित्तीय देनदारियां घटती हैं। रिटायर होने तक ज्यादातर आर्थिक जिम्मेदारियां पूरी हो चुकी होती हैं। इसलिए ऐसी पॉलिसी लें जो रिटायरमेंट की उम्र के आसपास खत्म हो रही हो।

5. घोषणापत्र :

जीवन में ईमानदारी बरतना सबसे अच्छी नीति है। पॉलिसी का प्रपोजल फॉर्म खुद भरें। सभी जरूरी तथ्यों का खुलासा करने में पर्याप्त सावधानी बरतें। मौजूदा मेडिकल स्टेटस मसलन, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर आदि की जानकारी छिपाना आपके हित में अच्छा नहीं है। आज कई तकनीक मौजूद हैं जो आपके स्वास्थ्य की सही तस्वीर सामने ला सकती है।

6. सलाहकार की मदद लें या खुद खरीदें:

पहले यह देखें कि सलाहकार आपको किस स्तर की सेवा दे सकता है। आप उससे विभिन्न पॉलिसियों का तुलनात्मक विश्लेषण उसकी सिफारिश के साथ मांग सकते हैं। वह प्रीमियम लोडिंग, मेडिकल टेस्ट, एमडब्ल्यूपीए, इंश्योरेंस डीमैट अकाउंट खोलने में आपकी मदद कर सकता है। वह बीमाधारक की मृत्यु के बाद उसके परिवार को वाजिब क्लेम दिलाने में मदद कर सकता है। 9971494230

7. कौन-सी पॉलिसी लें:

विभिन्न वेबसाइटों पर मौजूद इंश्योरेंस पॉलिसियों के तुलनात्मक विश्लेषण का अध्ययन करें। इसके फीचर्स और अपनी बीमा जरूरत में तुलना करें। अपनी खोज का दायरा दो-तीन अच्छी पॉलिसियों तक सीमित करें। इंटरनेट पर दो-तीन वेबसाइट देखें और उनकी सिफारिशों की समीक्षा करें। किसी पॉलिसी को चुनने से पहले बेनेफिट इलस्ट्रेशन की समीक्षा करें। इससे आप छिपी लागत मालूम कर सकेंगे।

8. बीमा या निवेश

बीमा और निवेश दोनों को अलग-अलग रखना चाहिए। अन्यथा यूलिप जैसे जटिल इंश्योरेंस प्रोडक्ट खरीदने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। ऐसा बीमा लेना आपको महंगा भी पड़ सकता है

9. ऑनलाइन खरीदें या ऑफलाइन:

किसी अच्छी बीमा कंपनी से टर्म प्लान ऑनलाइन खरीदना चाहिए। यह सुविधाजनक और सस्ता भी पड़ता

10. मैरीड वूमेन्स प्रोटेक्शन एक्ट के तहत पॉलिसी लेने से यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि बीमाधारक की मृत्यु के बाद क्लेम की राशि उसके परिवार को ही मिलेगी। इसका इस्तेमाल उसकी देनदारी चुकाने में नहीं होगा।

11. रेगुलर या सिंगल प्रीमियम: आमतौर पर रेगुलर प्रीमियम पॉलिसी लेना बेहतर रहता है। इसमें टैक्स बेनेफिट लेने के ज्यादा मौके मिल सकते हैं।

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