Saturday, 18 March 2017

Want in Life

“WHAT WE WANT IN LIFE...?”

The replies to this question may depend on life stage, we are going though. A child would say a particular toy. A student may say good grades, company of friends or something else. An man/women may seek to be successful, or to have highly paid job, a successful business, a beautiful house, a big car, a beautiful family and so on….
These are milestones on our journey but what we want to derive from all this….
It is “HAPPINESS” which is common during all the life stage. So, if we have to say in one word what we want in our life……. it is “HAPPINESS”.
But in today’s world even after achieving all the above goalposts/milestones (after putting so much effort).
Are we happy? The reply is big “NO”.
Then we have to explore why after achieving all the goalposts/milestones we are not happy.

If we have a re-look on our milestones, whether anywhere it is promised that these milestones will bring the happiness? It is our presumption that these things will bring the happiness. But a big house will provide me the security & comfort, a car will provide me the comfort but not the happiness.  I derive my happiness/sorrows from the interaction that I have with the family. The family perse does not promise happiness.
It is perfectly fine to wish for a toy, good grades, successful job, a house, a car, a family or wealth. But we must understand that these things perse don’t bring happiness. We attach a mental well being to these goalposts and confuse it for happiness.

Therefore our happiness seems to be so momentary, so temporary. We wish a happy journey not just the happy destination. Our journey should be happy. It is perfectly fine that we endeavor to achieve all our goalposts/milestones but i am not happy to achive my milestone but without linking our happiness to these goalposts. We are trying to find it in a wrong place.
Happiness is the state of being…….It is my original sanskar. It is already there in abundance. It is so much in me that I can say I am happiness. Just we have to be aware about it…The more we know ourselves the more we become aware about the fact that we are happiness…

Thursday, 3 March 2016

बैचलर लड़के 🙇

MBA करने के बाद जैसा कि सभी हाईटेक जॉब और रूम के तलाश में निकल पड़े ललित जो  ‘ Gurgaon ’ में रहने वाला है.
तो हमने पूछा,
‘क्या बैचलर लड़के को रूम मिल सकता है?’

पता नहीं! पर ना जाने क्यों मकानमालिकों को लगता है. बैचलर है. जाने किस रात सामान समेत निकल ले. जाते-जाते पंखा भी खोल ले जाएगा. बल्ब भी छोड़े न छोड़े.
यही दिक्कत उन्हें शादीशुदा या फैमिली वालों के साथ कभी नहीं होती.
उन्हें तो डबल बेड निकालने में ढ़ाई दिन लगेंगे,

बैचलर लड़का या लड़की किसी के घर मकान लेने जाए तो सबसे पहले तो ऐसे सहम जाते हैं मानो कनपटी पर एके-47 धरकर अलकायदा ने ट्रेनिंग कैंप लगाने कि घोषणा कर दी हो. बाद में इत्ती लंबी-चौड़ी पूछताछ होगी कि महसूस होता है ये अमेरिका के किसी एयरपोर्ट के सुरक्षाकर्मी हैं

किस कंपनी में जॉब है, डॉक्युमेंट प्रूफ, क्या जाति है और तो और गर्लफ्रेंड के बारे में पूँछ लेते है (जैसे वो आपनी मंझली बिटिया का रिश्ता लेकर आए हो) और हमारे श्रीवास्तव जी के सामने पूछा तो उसे लगा कोई तो है जो ऐशा जो हमारे लिये सोच रहा है, श्रीवास्तव जी सीना 42 से 48 बना लेते है तुरंत और खुशी का ठिकाना नहीं,

ले-देकर किसी जिगर वाले ने घर दे भी दिया तो उसकी पहली शर्त यही होती है कि लड़के-लड़कियां नहीं आएंगे.
लड़कियां काहे नहीं आएंगी बे? लड़कियां आने से तुम्हारी दीवारें प्रेग्नेंट हो जाएंगी क्या? हमारी लड़की में भी दोस्त है,

इनकी टोका-टाकी और तांका-झांकी इतनी होती है कि आपको कभी रिश्तेदारों की कमी महसूस नहीं होती. आप रात दस के पहले घर आ जाओ, मां-बाप भी मिलने आएं तो दस दिन पहले बताओ.

प्रजापति नोइडा में रहता था. शर्मा जी के यहां. एक तारीख को महीना लगता. जॉब लगने कि खुशी में  एक बार 25 तारीख को ही किराया दे दिया. अगली बार वो 20 तारीख को कुंडी खटखटा बैठे. भिया पेसे! ऐसे भी मकान मालिक मिलते हैं. आप कलेजा निकालकर इनको परोस दो तो भी नहीं सुधरेंगे,

वैलेंटाइन वाला हफ्ता गुजरा. महनता जो हमारे प्रिय मित्र है वो मकानमलिक के बेटी को लाईने दे रहे है, इतनी बंदिश रखेंगे तो यही होगा,
कोई तो है जो मकानमालिक को चुना लगा रहा है, क्या बतलाये शुभहे के चाय के दूघ का इंतजाम भी कर लेता है,

मकानमलिक से ससुर जी बन जायेंगे अब..

इस स्टोरी को चटपटा बनाने के लिये कल्पनिक नाम और लोकेशन दिया गया है, अगर कोई लाईने बुरी लगी तो आप हमें बताये,

आपका मित्र
अभिषेक 

Thursday, 25 February 2016

भगवान के मर्जी

तुमरे प्यार में पागल हुये है रे..
तुमको पता है जब जब सरसो का खेत देखता हूँ न तब तब तुमरी बहुते याद आती है..
लगता है तुम हंसते हुए दौड़कर हमरा पास आ रही हो....मन करता है ये सरसों का फूल तोड़कर तुम्हारे जूड़े में लगा दूँ..आ जोर से कहूं..."आई लव यू"...
मन करता है खेत में ही तुम्हारा दुपट्टा बिछाकर सो जाऊं आ सीधे होली के बिहान उठूँ....

आज खेत आवें के समय भोला बाबा के मंदिर गइल रहनी वहाँ पर भि तोहरा कहले पर पूजा कईनी,

बाकी तोहार बाउजी के बात अभि भि याद बा जेकरा अमरिसपुरिया जइसन फेस देखकर ऐसा लागत रहे जैसे सरसो के खेत में साँड़ घुस गइल हो..मनवे बीगर जात है। तोहार बाऊजी के डर से तू जब हमरा के जो छॊङ के गइल रहलि आज भि ई प्रीरितीया मन ना लगत हें,
छोड़ो ई बात ..
उस दिन जब चक्रेशवा के बियाह में तुम आई थी न..हम देखे थे..तुम केतना खुश थी...गुलाबी और करिया सूट में एकदम गुलाब जामुन जैसा लग रही थी...तुमको कुछू पता है कि हम तुमको देखकर दू घण्टा नागिन डांस किये थे।
ए बाबू अच्छे से रहना..अब तुमारा परीक्षा भी नज़दीक है....नीमन से पढ़ना..बाकी हम खिड़की पर खड़े होकर तोहार याद में ज़िंदा हैं न....चिंता मत करना ..बस इ खाली तुम्हारे बीटेक का परीक्षा नहीं हमरो इश्क का इम्तेहान है।
अकलेस भाई आईनि हम डमरू वाले भोले बाबा के कसम तू खाली हाँ त कही हम ई दुनिया में तोहरा लिये तांडव मचा देम...।
बाकी सब ठीके है...रात दिन तुमरे याद आती है.पागल जैऐसन हाल हो गयल बा.....रहल नहीं जा रहल बा..अब खेती का काम करके हमू जल्दी से निकल लेम ...अप्रैल में देल्ही में जाय के बा, एमबीए कर के हम हूँ फसिए गइल बनी.. देखो काली माई के आशीर्वाद रहाल तो अच्छी जॉब में भरती होकर सेटल हो जावेंगे ... और दुर्गा माई के कृपा राहिले त बहन भि ठीक हो जाई..,

हम नहीं चाहत बानी की तुमरा बियाह कोनो बीटेक वाले से हो जाए और हमको तुम्हारे बियाह में रो रोकर पूड़ी पत्तल गिलास चलावे पड़े...मगर हमरा समाज के कारन हमरा के कोई मिले ना दीये रे, बस अब भगवान के मर्जी बाटे और तू आपन ख़याल रखीये,

आई लभ जू रे..।

Friday, 19 February 2016

टावर वाले बाबा के कसम

इ लभ लेटर मैं सरसों के खेत में नहीं तुम्हारी मुहब्बत के टावर पर चढ़कर लिख रहा हूँ... कसम आज तीन दिन से मोबाइल में टावरे नहीं पकड़ रहा था...
ए जानु... खीसियाना मत... मोहब्बत के दुश्मन खाली हमारे तुम्हारे बाउजी नहीं यूनिनार, बीएसनल और एयरसेल वालें भी हैं..जब फोनवा नहीं मिलता है न रतिया को तो मनवा करता है कि सड़की पर दउड़ दउड़ कर जान दे दें.... उ त तोहार प्यार रोक लेत है..
अरे इन सबको आशिक़ों के दुःख का क्या पता रे?.
नाइट फ्री वाला पैक डलवाये थे...लेकिन हाय रे प्यार वाला डे निकल गया सब डे बीत गया आज भि चला गया नेटवर्क ..
हम तुमको हलो भी नहीं कह पाये।
कभी कभी तो मन तो करता है की खेत बेचकर एक दुआर पर टावर लगवा लें..आ रात भर तुमसे इलू इलू करें।
जानती हो आज रहल नही जा रहा था एकदम.. मनवा एतना लभेरिया गया है... अब का बताई, कोनो टिप बा त बताई..

Friday, 12 February 2016

वेलेंटाइन डे स्पेशल

लड़कियों को तारना और लाइनें मरना सब एक तरफ चलो आज दोस्त कि बाते करते है!

दिल मे सच छुपा होता है, बताते नहीं है !
एक फीलिंग छुपी होती है, बताते नहीं है !
छोटा सा दर्द छुपा होता है, बताते नहीं है !
जरूरत छुपी होती है, बताते नहीं है !
एक गहरी बात छुपी होती है, बताते नहीं है !
बातों का समंदर में उलझ कर रहते है और खुद ऐशे उलझ जाते है .. जब पूछो तो कहते है...

“मुझे कोई फर्क नही पङता”, “मुझे अकेला छोङ दो”, “पता नही” , “मजाक था यार”

खामोश रहता यार और दूर होता प्यार … तो बेचैनी एक जैसी होती है,
अगर दिल खोलोगे यारों के साथ
तो हम लड़ लेंगें अंगारो के साथ..!!

हम क्रांति करते हैं..

अभी पुष्पा को कालेज आये चार ही दिन हुए थे कि उसकी मुलाक़ात एक क्रांतिकारी से हो गयी. लम्बी कद का एक सांवला सा लौंडा...ब्रांडेड जीन्स पर फटा हुआ कुरता पहने क्रान्ति की बोझ में इतना दबा था कि उसे दूर से देखने पर ही यकीन हो जाता था ..इसे नहाये मात्र सात दिन हुये हैं..... .बराबर उसके शरीर से क्रांति की गन्ध आती रहती थी... लाल गमछे के साथ झोला लटकाये सिगरेट फूंक कर क्रांति कर ही रहा था तब तक....
पुष्पा ने कहा..."नमस्ते भैया.. ..
"हुंह ये संघी हिप्पोक्रेसी."..काहें का भइया और काहें का नमस्ते?..हम इसी के खिलाफ तो लड़ रहे हैं...प्रगतिशीलता की लड़ाई...ये घीसे पीटे संस्कार...ये मानसिक गुलामी के सिवाय कुछ नहीं.....आज से सिर्फ लाल सलाम साथी कहना।
पुष्पा ने सकुचाते हुए पूछा.."आप क्या करते हैं ..क्रांतिकारी ने कहा.."हम क्रांति करते हैं....जल,जंगल,जमीन की लड़ाई लड़ते हैं..शोषितों वंचितों की आवाज उठातें हैं..
क्या तुम मेरे साथ क्रांति करोगी?
पुष्पा ने सर झुकाया और धीरे से कहा...."नहीं मैं यहाँ पढ़ने आई हूँ...कितने अरमानों से मेरे किसान पिता ने मुझे यहाँ भेजा है..पढ़ लिखकर कुछ बन जाऊं तो समाज सेवा मेरा भी सपना है.....".
क्रांतिकारी ने सिगरेट जलाई और बेतरतीब दाढ़ी को खुजाते हुए कहा....यही बात मार्क्स सोचे होते...लेनिन और मावो सोचे होते....कामरेड चे ग्वेरा....?बोलो?
तुमने पाश की वो कविता पढ़ी है...
"सबसे खतरनाक होता है मुर्दा शान्ति से भर जाना"
तुम ज़िंदा हो पुष्पा.मुर्दा मत बनों....क्रांति को तुम्हारी जरूरत है....लो ये सिगरेट पियो...."
पुष्पा ने कहा..."सिगरेट से क्रांति कैसे होगी..?
क्रांतिकारी ने कहा.."याद करो मावो और चे को वो सिगरेट पीते थे...और जब लड़का पी सकता है तो लड़की क्यों नहीं....हम इसी की तो लड़ाई लड़ रहे हैं..." यही तो साम्यवाद है ।
और सुनों कल हमारे प्रखर नेता कामरेड फलाना आ रहे हैं....हम उनका भाषण सुनेंगे..और अपने आदिवासी साथियों के विद्रोह को मजबूत करेंगे...लाल सलाम.चे.मावो..लेनिन.."
पुष्पा ने कहा..."लेकिन ये तो सरासर अन्याय है...कामरेड फलाना के लड़के तो अमेरिका में पढ़ते हैं...वो एसी कमरे में बिसलेरी पीते हुए जल जंगल जमीन पर लेक्चर देते हैं...और वो चाहतें हैं की कुछ लोग अपना सब कुछ छोड़कर नक्सली बन जाएँ और बन्दूक के बल पर दिल्ली पर अपना अधिकार कर लें...ये क्या पागलपन है..उनके अपने लड़के क्यों नहीं लड़ते ये लड़ाई. हमें क्यों लड़ा रहे.? क्या यही क्रांति है"?
क्रांतिकारी को गुस्सा आया...उसने कहा.."तुम पागल हो..जाहिल लड़की..तुम्हें ये सब बिलकुल समझ नहीं आएगा...तुमने न अभी दास कैपिटल पढ़ा है न कम्युनिस्ट मैनूफेस्टो...न तुम अभी साम्यवाद को ठीक से जानती हो न पूंजीवाद को..."
पुष्पा ने प्रतिवाद करते हुए कहा...."लेकिन इतना जरूर जानती हूँ कामरेड कि मार्क्सवाद शुद्ध विचार नही है..इसमें मैन्यूफैक्चरिंग फॉल्ट है।
यह हीगल के द्वन्दवाद,इंग्लैण्ड के पूँजीवाद.और फ्रांस के समाजवाद का मिला जुला रायता है.....जो न ही भारतीय हित में है न भारतीय जन मानस से मैच करता है।.
क्रांतिकारी ने तीसरी सिगरेट जलाई...और हंसते हुए कहा..."ये बुर्जुर्वा हिप्पोक्रेसी..तुम कुछ नहीं जानती... छोड़ो...तुम्हें अभी और पढ़ने की जरूरत है...कल आवो हम फैज़ का वो गीत गाएंगे....
"आई विल फाइट कामरेड"
"हम लड़ेंगे साथी..उदास मौसम के खिलाफ"
अगले दिन उदास मौसम के खिलाफ खूब लड़ाई हुई...पोस्टर बैनर नारे लगे...साथ जनगीत डफली बजाकर गाया गया और क्रांति साइलेंट मोड में चली गयी.. तब तक दारु की बोतलें खुल चूकीं थीं.....
क्रांतिकारी ने कहा..."पुष्पा ये तुम्हारा नाम बड़ा कम्युनल लगता है..पुष्पा पांडे....नाम से मनुवाद की बू आती है...कुछ प्रोग्रेसिव नाम होना चाहिए..... आई थिंक..कामरेड पूसी सटीक रहेगा।
पुष्पा अपना कामरेडी नामकरण संस्कार सुनकर हंस ही रही थी तब तक क्रान्तिकारी ने दारु की गिलास को आगे कर दिया....
पुष्पा ने दूर हटते हुए कहा...."नहीं...ये नहीं..हो सकता।"
क्रान्तिकारी ने कहा..."तुम पागल हो..क्रान्ति का रास्ता दारु से होकर जाता है..याद करो मावो लेनिन और चे को...सबने लेने के बाद ही क्रांति किया है.."
पुष्पा ने कहा..लेकिन दारु तो ये अमेरिकन लग रही...हम अभी कुछ देर पहले अमेरिका को जी भरके गरिया रहे थे......
क्रांतिकारी ने गिलास मुंह के पास सटाकर काजू का नमकीन उठाया और कहा..."अरे वो सब छोड़ो पागल..समय नहीं ..क्रान्ति करो. दुनिया को तेरी जरूरत है....याद करो चे को मावो को.....हाय मार्क्स।
पुष्पा का सारा विरोध मार्क्स लेनिन और साम्यवाद के मोटे मोटे सूत्रों के बोझ तले दब गया.....वो कुछ ही समय बाद नशे में थी....
क्रांतिकारी ने क्रांति के अगले सोपान पर जाकर कहा..."कामरेड पुसी ..अपनी ब्रा खोल दो.."

पुष्पा ने कहा.."इससे क्या होगा?...
क्रांतिकारी ने उसका हाथ दबाते हुए कहा.. "अरे तुम महसूस करो की तुम आजाद हो..ये गुलामी का प्रतीक है..ये पितृसत्ता के खिलाफ तुम्हारे विरोध का तरीका है..तुम नहीं जानती सैकड़ों सालों से पुरुषों ने स्त्रियों का शोषण किया है.....हम जल्द ही एक प्रोटेस्ट करने वाले हैं...."फिलिंग फ्रिडम थ्रो ब्रा" जिसमें लड़कियां कैम्पस में बिना ब्रा पहने घूमेंगी।"
पुष्पा अकबका गई..."ये सब क्या बकवास है कामरेड..ब्रा न पहनने से आजादी का क्या रिश्ता"?
क्रांतिकारी ने कहा....'यही तो स्त्री सशक्तिकरण है कामरेड पुसी...देह की आजादी...जब पुरुष कई स्त्रियों को भोग सकता है...तो स्त्री क्यों नहीं....क्या तुम उन सभी शोषित स्त्रियों का बदल लेना चाहोगी?"
पुष्पा ने पूछा...."हाँ लेकिन कैसे"?...
क्रान्तिकारी ने कहा..."देखो जैसे पुरुष किसी स्त्री को भोगकर छोड़ देता है...वैसे तुम भी किसी पुरुष को भोगकर छोड़ दो...."
पुष्पा को नशा चढ़ गया था...
"कैसे बदला लूँ..कामरेड...?
क्रांतिकारी की बांछें खिल गयीं..उसने झट से कहा..."अरे मैं हूँ न..पुरुष का प्रतीक मुझे मान लो..मुझे भोगो कामरेड और हजारों सालों से शोषण का शिकार हो रही स्त्री का बदला लो।" बदला लो कामरेड.....उस दैत्य पुरुष की छाती पर चढ़कर बदला लो।"
कहतें हैं फिर रात भर लाल सलाम और क्रान्ति के साथ बिस्तर पर स्त्री सशक्तिकरण का दौर चला.. बार बार क्रांति स्खलित होती रही......कामरेड ने दास कैपिटल को किनारे रखकर कामसूत्र का गहन अध्ययन किया....
अध्ययन के बाद सुबह पुष्पा उठी तो...आँखों में आंशू थे..क्या करने आई थी ये क्या करने लगी...गरीब माँ बाप का चेहरा याद आया...हाय.....कुछ् दिन से कितनी चिड़चिड़ी होती जा रही...चेहरा इतना मुरझाया सा...अस्तित्व की हर चीज से नफरत होती जा रही.नकारात्मक बातें ही हर पल दिमाग में आती है....हर पल एक द्वन्द सा बना रहता है...."अरे क्या पुरुषों की तरह काम करने से स्त्री सशक्तिकरण होगा की स्त्री को हर जगह शिक्षा और रोजगार के उचित अवसर देकर.....पुष्पा का द्वन्द जारी था...
उसने देखा क्रांतिकारी दूर खड़ा होकर गाँजा फूंक रहा है....
पुष्पा ने कहा."सुनों मुझे मन्दिर जाने का मन कर रहा है.....अजीब सी बेचैनी हो रही है...लग रहा पागल हो जाउंगी....."
क्रांतिकारी ने गाँजा फूंकते हुए कहा.."पागल हो गयी हो..क्या तुम नहीं जानती की धर्म अफीम है"?
जल्दी से तैयार हो जा..हमारे कामरेड साथी आज हमारा इन्तजार कर रहे...हम आज संघियों के सामने ही "किस आफ लव करेंगे"...
शाम को याकूब,इशरत और अफजल के समर्थन में एक कैंडील मार्च निकालेंगे...
पुष्पा ने कहा..."इससे क्या होगा ये सब तो आतंकी हैं. देशद्रोही....सैकड़ों बेगुनाहों को हत्या की है...कितनों का सिंदूर उजाड़ा है...कितनों का अनाथ किया है.....
क्रांतिकारी ने कहा..."तुम पागल हो लड़की....
पुष्पा जोर से रोइ...."नहिं मुझे नहीं जाना... मुझे आज शाम दुर्गा जी के मन्दिर जाना है...मुझे नहीं करनी क्रांति...मैं पढ़ने आई हूँ यहाँ...मेरे माँ बाप क्या क्या सपने देखें हैं मेरे लिए.....नहीं ये सब हमसे न होगा...."
क्रांतिकारी ने पुष्पा के चेहरे को हाथ में लेकर कहा....."तुमको हमसे प्रेम नहीं.?...गर है तो ये सब बकवास सोचना छोड़ो....." याद करो मार्क्स और चे के चेहरे को...सोचो जरा क्या वो परेशानियों के आगे घुटने टेक दिए...नहीं...उन्होंने क्रान्ति किया। आई विल फाइट कामरेड....
पुष्पा रोइ...लेकिन हम किससे फाइट कर रहे हैं..?
क्रांतिकारी ने आवाज तेज की और कहा ये सोचने का समय नहीं.....हम आज शाम को ही महिषासुर की पूजा करेंगे...और रात को बीफ पार्टी करके मनुवाद की ऐसी की तैसी कर देंगे.. फिर बाद दारु के साथ चरस गाँजा की भी व्यवस्था है।
पुष्पा को गुस्सा आया..चेहरा तमतमाकर बोली...."अरे जब दुर्गा जी को मिथकीय कपोल कल्पना मानते हो तो महिषासुर की पूजा क्यों....?
क्रान्तिकारी ने कहा.अब ये समझाने का बिलकुल वक्त नहीं...तुम चलो...मुझसे थोड़ा भी प्रेम है तो चलों..हाय चे हाय मावो...हाय क्रांति...".
इस तरह से क्रांति की विधिवत शुरुवात हुई.... धीरे धीरे कुछ दिन लगातार दिन में क्रांति और रात में बिस्तर पर क्रांति होती रही...पुष्पा अब सर्टिफाइड क्रांतिकारी हो गयी थी......पढ़ाई लिखाई छोड़कर सब कुछ करने लगी थी...कमरे की दीवाल पर दुर्गा जी हनुमान जी की जगह चे और मावो थे....अगरबत्ती की जगह..सिगरेट..और गर्भ निरोधक के साथ सर दर्द और नींद की गोलियां....अब पुष्पा के सर पे क्रांति का नशा हमेशा सवार रहता...
कुछ दिन बीते.एक साँझ की बात है पुष्पा ने अपने क्रांतिकारी से कहा..."सुनो क्रांतिकारी..तुम अपने बच्चे के पापा बनने वाले हो...आवो हम अब शादी कर लें?
कहते हैं तब क्रांतिकारी की हवा निकल गयी...
मैंनफोर्स और मूड्स के बिज्ञापनों से विश्वास उठ गया..उसने जोर से कहा.."नहीं पुष्पा...कैसे शादी होगी..मेरे घर वाले इसे स्वीकार नहीं करेंगे....हमारी जाति और रहन सहन सब अलग है......यार सेक्स अलग बात है और शादी वादी वही बुर्जुवा हिप्पोक्रेसी....मुझे ये सब पसन्द नहीं..हम इसी के खिलाफ तो लड़ रहे हैं। ?"
पुष्पा तेज तेज रोने लगी.... वो नफरत और प्रतिशोध से भर गयी...लेकिन अब वो वहां खड़ी थी जहाँ से पीछे लौटना आसान न था।
कहतें हैं क्रांति के पैदा होने से पहले क्रांतिकारी पुष्पा को छोड़कर भाग खड़ा हुआ और क्रान्ति गर्भपात का शिकार हो गयी।
लेकिन इधर पता चला है की क्रांतिकारी अपनी जाति में विवाह करके एक ऊँचे विश्वविद्यालय में पढ़ा रहा।
और कामरेड पुष्पा अवसाद के हिमालय पर खड़े होकर सार्वजनिक गर्भपात के दर्द से उबरने के बाद जोर से नारा लगा रही..
"भारत की बर्बादी तक जंग चलेगी जंग चलेगी
काश्मीर की आजादी तक जंग चलेगी जंग चलेगी।"

Sunday, 17 May 2015

जीवन बीमा लेते समय इन 11 बातों का रखें ध्यान, मिलेंगे कई फायदे

मोदी सरकार 12 और 330 रुपए के प्रीमियम वाली इंश्योरेंस स्कीम के जरिए देश के सभी लोगों को बीमा के दायरे में लाने की तैयारी कर रही है, लेकिन अकसर जीवन बीमा चुनते समय लोग कई बार कंफ्यूज होते हैं। मसलन कौन सी पॉलिसी लें, किस कंपनी से पॉलिसी लें, कितने की पॉलिसी लें? यदि आप भी बीमा कराने की सोच रहे हैं, तो पहले इन बातों पर गौर कर लें। इन टिप्स की मदद से आप बेहतर जीवन बीमा पॉलिसी का चुनाव आसानी से कर पाएंगे।
आइये जानते हैं कौन सी टिप्स करेंगी आपकी मदद...

1. कवर और बजट की राशि तय करें:

आपको कितना बीमा कवर की लेना चाहिए यह जानने के लिए पर्सनल फाइनेंस की वेबसाइटों पर उपलब्ध कैलकुलेटर की मदद ले सकते हैं। बीमा क्षतिपूर्ति के सिद्धांत पर काम करता है। आपको इसे क्षतिपूर्ति के नजरिये से ही देखना चाहिए, लाभ के नजरिये से नहीं।

2. किस कंपनी से पॉलिसी लें:

एलआईसी की साख अच्छी है और ट्रैक रिकॉर्ड भी। इसके टर्म प्लान के लिए प्रीमियम अधिक चुकाना होगा। वहीं, प्राइवेट इंश्योरेंस कंपनियां ऑनलाइन मॉडल और अन्य कारणों से इस मामले में ज्यादा प्रतिस्पर्धी हैं। इसलिए अपने बजट और बीमा कवर की राशि के आधार पर तय करें आप किस कंपनी से पॉलिसी खरीदना चाहेंगे।

3. कवर स्प्लिट करें:

यदि बीमा कवर अधिक राशि का है मसलन 50 लाख रुपए या इससे अधिक तो आपको इसे दो कंपनियों में बांटना चाहिए। इसके दो फायदे होंगे: पहला, यदि आपकी मृत्यु के बाद परिवार बीमा क्लेम करता है और एक कंपनी इसे खारिज करती है और दूसरी मंजूर, तो आपका परिवार हस्तक्षेप के लिए नियामक से अनुरोध कर सकता है। दूसरा, कुछ वर्षों बाद यदि आपकी बीमा जरूरत घट जाती है तो एक पॉलिसी को सरेंडर कर दूसरी पॉलिसी को जारी रख सकते हैं।

4. पॉलिसी की अवधि:

यदि आपके पास वित्तीय परिसंपत्तियां अधिक हैं, तो आपको जीवन बीमा पर खर्च करने की जरूरत नहीं है। उम्र के साथ वित्तीय परिसंपत्तियां बढ़ती हैं और वित्तीय देनदारियां घटती हैं। रिटायर होने तक ज्यादातर आर्थिक जिम्मेदारियां पूरी हो चुकी होती हैं। इसलिए ऐसी पॉलिसी लें जो रिटायरमेंट की उम्र के आसपास खत्म हो रही हो।

5. घोषणापत्र :

जीवन में ईमानदारी बरतना सबसे अच्छी नीति है। पॉलिसी का प्रपोजल फॉर्म खुद भरें। सभी जरूरी तथ्यों का खुलासा करने में पर्याप्त सावधानी बरतें। मौजूदा मेडिकल स्टेटस मसलन, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर आदि की जानकारी छिपाना आपके हित में अच्छा नहीं है। आज कई तकनीक मौजूद हैं जो आपके स्वास्थ्य की सही तस्वीर सामने ला सकती है।

6. सलाहकार की मदद लें या खुद खरीदें:

पहले यह देखें कि सलाहकार आपको किस स्तर की सेवा दे सकता है। आप उससे विभिन्न पॉलिसियों का तुलनात्मक विश्लेषण उसकी सिफारिश के साथ मांग सकते हैं। वह प्रीमियम लोडिंग, मेडिकल टेस्ट, एमडब्ल्यूपीए, इंश्योरेंस डीमैट अकाउंट खोलने में आपकी मदद कर सकता है। वह बीमाधारक की मृत्यु के बाद उसके परिवार को वाजिब क्लेम दिलाने में मदद कर सकता है। 9971494230

7. कौन-सी पॉलिसी लें:

विभिन्न वेबसाइटों पर मौजूद इंश्योरेंस पॉलिसियों के तुलनात्मक विश्लेषण का अध्ययन करें। इसके फीचर्स और अपनी बीमा जरूरत में तुलना करें। अपनी खोज का दायरा दो-तीन अच्छी पॉलिसियों तक सीमित करें। इंटरनेट पर दो-तीन वेबसाइट देखें और उनकी सिफारिशों की समीक्षा करें। किसी पॉलिसी को चुनने से पहले बेनेफिट इलस्ट्रेशन की समीक्षा करें। इससे आप छिपी लागत मालूम कर सकेंगे।

8. बीमा या निवेश

बीमा और निवेश दोनों को अलग-अलग रखना चाहिए। अन्यथा यूलिप जैसे जटिल इंश्योरेंस प्रोडक्ट खरीदने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। ऐसा बीमा लेना आपको महंगा भी पड़ सकता है

9. ऑनलाइन खरीदें या ऑफलाइन:

किसी अच्छी बीमा कंपनी से टर्म प्लान ऑनलाइन खरीदना चाहिए। यह सुविधाजनक और सस्ता भी पड़ता

10. मैरीड वूमेन्स प्रोटेक्शन एक्ट के तहत पॉलिसी लेने से यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि बीमाधारक की मृत्यु के बाद क्लेम की राशि उसके परिवार को ही मिलेगी। इसका इस्तेमाल उसकी देनदारी चुकाने में नहीं होगा।

11. रेगुलर या सिंगल प्रीमियम: आमतौर पर रेगुलर प्रीमियम पॉलिसी लेना बेहतर रहता है। इसमें टैक्स बेनेफिट लेने के ज्यादा मौके मिल सकते हैं।